...

3 views

समय
कोई आता कोई चला जाता हैं,
समय के साथ सबकुछ बदलता चला जाता हैं।


खामोश सी चारदिवारी में अलग सा ही शोर मचा था
नजर उठाई तो देखा हर शख्स अपने में ही लगा था,
उलझा हुआ धागा जैसे उलझता ही चला जाता है
समय के साथ सब कुछ बदलता चला जाता है।


हंसते खेलते कितने गम बांट लिया करते थे
कितने हसीन दिन थे जब सब साथ निभा लिया करते थे,
झूठ का कफन ओढ़े अब तो पट्टियां आंखों में बांधी जाती हैं
ना जाने क्यों बीच अपनों के ही दरारे अक्सर बढ़ जाती है।


ठेलें की चार्ट और पानी पुरी का भी एक जमाना हुआ करता था
बर्फ़ के गोले की चुस्कियां और मटके की कुल्फी का अलग अंदाज हुआ करता था,
अब कहां नसीब में वो पुरानी यादें है
बिखरा हुआ खालीपन हैं और कुछ झूठे वादे हैं।


कागज़ की कश्ती बनाई बहुत है बचपन में
अब जिंदगी की कश्ती को तैराना बाकी है,
क्या है आखिर मेरे हाथ में...? कुछ भी तो नहीं..
समय के साथ समय का बदलना बाकी है।

© chutki_2207

@atulpurohit @vickysalunkhe @writco

#WritcoQuote #Time #poetrycommunity #writcoapp #writer #poetsofinstagram #writco #writersofinstagram