...

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क्या पता!!
सब कुछ जान के भी समझ नहीं पा रहे है,
सब कुछ देख के भी भेद नहीं कर पा रहे हैं,
सब कुछ बोल के भी समझा नहीं पा रहे हैं,
सब कुछ भूल के भी याद किये जा रहे हैं,
मानो सबसे तेज समय ने ठेहराव ले लिया,
फ़िर क्या कहे हम किसी को जब प्रकृति ने ही मुँह मोड़ लिया,
खेल होता तो ख़तम हो जाता कुछ पल मै,
कसोती होती तो ख़तम हो जाती कुछ दिन मै,
ना जाने ये क्या है जो जिंदगी की तरह चल रहा है,
किसी ने कहा यही जिंदगी है, किसी ने कहा,
यही जिंदगी का एक भाग है।
- kashish Raval