...

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प्रेम
हवन कुंड से उठते धुंए
की तरह
मेरी आकांक्षा भी उठ रही है
छूना चाहती है हर उस जगह को
जो अनछुई रह जाती है, प्रेमालाप में
तुम शरीर तक सीमित रह जाते हो
मैं रूह... तक पहुंचना चाहती हूं।।
©jyoti_
© Jyoti Dhiman