"चंद अल्फाज़ जिंदगी के साथ"
ऐ जिंदगी इतने इम्तहां ना ले,
जरा-सा तु रहम दिखा मुझपर भी
सब्र है उस ख़ुदा के इंसाफ़ का मगर,
हूं तो इंसान मैं भी
तु सितम कर रहा ये भूलकर,
वक्त पलटता है सबका एक रोज
आज तु दिखा अपना रंग,
कल...
जरा-सा तु रहम दिखा मुझपर भी
सब्र है उस ख़ुदा के इंसाफ़ का मगर,
हूं तो इंसान मैं भी
तु सितम कर रहा ये भूलकर,
वक्त पलटता है सबका एक रोज
आज तु दिखा अपना रंग,
कल...