...

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तो तू मुझे नहीं जानता?
होना चाहिए " से " होता क्यों नहीं "

"तु जानता है कौन हूँ मैं?"
" तूने.....का नाम नहीं सुना हुआ क्या? यह ले "
( चित्कार की आवाज़)
इन वाक्य मे हमारा पुलिस  और सिस्टम समाया हुआ है,यह वाक्य अपराधी को एक लाइसेंस देते हैं,कोई भी अपराध करने का,जैसे
  गलत पार्किंग ,ज्यादा स्पीड,
कई अपराध,रेप,यहाँ तक कि मर्डर भी।
    हमारा फ्लाने अफसर या नेता से रिश्ता हमे छूट देता है क्या कि हम अपने ही कानून को तोड़े या उसका दुरूपयोग करें या धज्जी उड़ाएं?
    कानून तोडा तो रिश्वत दें या ऊपर वालो से रिश्ते का बखान करें?
  " यह करना चाहिए,वो करना चाहिए,देश की गरिमा है,यह तो महान देश है "जैसे वाक्य आप बड़े बड़े नेताओं से सुनते होंगे पर जब उन्ही का पार्टी वाला कोई सदस्य अपराधी साबित होता है तो उनके मुँह मे ताला लग जाता है।
  " होना चाहिए "एक ऐसी मरीचिका है जो देश को सालों से देश को खाये जा रही है
   " होता क्यों नही " जो यह पूछे वो कोई नही,ऐसे आदमी या संस्था को खरीद लो या नष्ट कर दो।
  

© Ramesh Mendiratta