...

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महज़ इत्तफाक?
सुनो न

क्या तुम्हारा मेरी जिंदगी में आना महज़ एक इत्तफाक था?
जिंदगी में आकर हमें जिंदगी बनाना क्या महज़ एक इत्तफाक था?
फिर बातों का सिलसिला शुरू करना,बातों ही बातों में इज़हार-ए-मोहब्बत करना महज़ एक इत्तफाक था?
फिर अपने एक सवाल के जवाब का लंबे समय तक इंतजार भी महज़ एक इत्तफाक था?
वो वादे,वो बाते,वो इज़हार क्या सब कुछ महज़ एक इत्तफाक था?
जिंदगी का खूबसूरत हिस्सा बन कर जिंदगी से चले जाना हां महज़ इत्तफाक ही तो था
पूरे करेगे तुम्हारे सारे ख्वाब,जिंदगी की कोई ख्वाहिश अधूरी न रहने देगे और वो जिंदगी भर साथ निभाने के वादे,
इन सबको छोड़ कर, अपने वादे तोड़ कर तुम्हारा यूं अपनी जिंदगी में मशरूफ हो जाना... हां महज़ एक इत्तफाक ही तो है,
मुझसे ही तुम्हारा यूं अजनबी हो जाना... हां महज़ इत्तफाक ही तो है!!!


© Anshika Tiwari