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बढ़ेगा मुल्क आगे जो कदर बच्चों की करता है
बढ़ेगा मुल्क आगे जो कदर बच्चों की करता है,
जहाँ नन्हीं सी आँखों में बड़ा सपना सँवरता है।
न हो भूखा न हो रोगी मिले सबको उचित शिक्षा,
बिना इनके यहाँ बचपन तड़प कर बस बिखरता है।
यहाँ ऐसे भी बच्चे हैं जो बूढ़े ज़्यादा लगते हैं,
लदा परिवार का बोझा यूँ ही बचपन गुज़रता है।
भले छोटे क़दम इनके इरादे हैं बहुत ऊँचे,
सितारों से भी आगे तक उड़ानें खूब भरता है।
नहीं सीमा है सपनों की न ही लज्जा का है बंधन,
विजयी होता वही जग में जो हारों से न डरता है।
जहाँ बच्चों की किलकारी वहाँ रौनक सी रहती है,
इन्हीं छोटी सी कलियों से बड़ा गुलशन निखरता है।
दुआ मेरी यही मित्रों कि बच्चे सब बढ़ें आगे,
इन्हीं के कल में इस दुनिया का मुस्तक़बिल उभरता है।