...

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मां
मां के एक काजल के टीके से ,
मेरी उमर बढ़ जाया करती थी,
कितना मजा आता था न जब,
मां अपने हाथो से सहलाती थी॥

ले आता अगर कोई शिकायत,
बिना कुछ सुने ही वो लड़ जाया करती थी,
कितना प्यारा था न वो समा ,
जब मां बाहों के झूले में झुलाया करती थी।

खुद तो गीले में सोकर भी,
मुझको सूखे में सुलाया करती थी।
मेरी एक आह मात्र पर ही,
वो घंटो रो जाया करती थी।


पैसे न हो फिर भी मेरी इक जिद पर ,
वो खूब खिलौने ले आया करती थी।
कितना प्यारा था न वो बचपन मेरा,
जिसमे इक जिदपर हर चीजे मिल जाया करती थी।

बुआ, नानी,और दादी, काकी
सब मिलकर प्यार लुटाया करती थी।
रोता था मैं जब भी यारो,
टहला कर मन बहलाया करती थी।

रनवीर लोरी गाकर , सीने से लगाकर
मां मुझको रोज सुलाया करती थी।
कहा गया वो बचपन अब जिसमे,
हर ख्वाहिश पूरी हो जाया करती थी।



© lafj