...

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अलविदा
दिल के दरो-दिवार,
पर बस तेरा ही नाम लिखा था।
बड़े मन से हमने ,
तेरे लिये एक पैगाम लिखा था।
हमने कब कहां?
कि तुम हमें सारी कायनात दे दाे।
हमने तो इतना कहा था,
बस अपनी एक प्यारी सी मुस्कान दे दाे।
पर तुम्हें ताे,
वाे भी ज्यादा लगता था।
हमारे साथ चंद लम्हें भी,
तुम्हें सजा सा लगता था।
ताे चलाे ,
आज तुम्हारी मन की करते है।
खुद काे समेट लेते है खुद मे,
और तुम्हें बख्स देते है..
© mamta raj