मर गया....
ढूँढता है दिल अब तलक़, आख़िर किधर गया,
वो लम्हा जो बग़ैर तेरे यूँ, टूटकर बिखर गया।
इक़ हसरत ने फिर देखो, ली अंगड़ाईयाँ जीस्त,
सोच कर दास्ताँ, दिल इस तरह सिहर गया।
इक़ साये की तरह...
वो लम्हा जो बग़ैर तेरे यूँ, टूटकर बिखर गया।
इक़ हसरत ने फिर देखो, ली अंगड़ाईयाँ जीस्त,
सोच कर दास्ताँ, दिल इस तरह सिहर गया।
इक़ साये की तरह...