...

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दिल क्यूं न बात माने तू
दिल क्यूं बात न माने तू
मैं हार गई मनुहार कर
क्यूं तू उस पथ पर चले
जहाँ बस दुख के पत्थर काँकर
तू सह न सकेगा वो धूप कड़ी
फिर क्या तुझे ज़िद की पड़ी
मान ले बात रुक जा यहीं
ये राह तेरे लिए नही बनी
© Garg sahiba