...

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दास्तां
कुछ दिल से सूना, कुछ दिल से कहा।
कुछ भ्रम में जिया, कुछ शर्म में सहा।

दुनियां है चार दिन, नहीं है दिन कम!
कुछ हंस के जिया, कुछ ग़म में रहा।

नसीब...