{....गौ माता...}
माता तू है सबसे भोली,
समझ ना पाई संसार को।
तेरी आंखें देख ना पाई,
कुकर्मी के अत्याचार को।
किस पापी की बुद्धि हो गई हैं भ्रष्ट,
जो देता है तुझको कुल...
समझ ना पाई संसार को।
तेरी आंखें देख ना पाई,
कुकर्मी के अत्याचार को।
किस पापी की बुद्धि हो गई हैं भ्रष्ट,
जो देता है तुझको कुल...