...

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{....गौ माता...}
माता तू है सबसे भोली,
समझ ना पाई संसार को।
तेरी आंखें देख ना पाई,
कुकर्मी के अत्याचार को।
किस पापी की बुद्धि हो गई हैं भ्रष्ट,
जो देता है तुझको कुल संहारी कष्ट।
सुन ले मां मेरी तू है पुकार,
कर दूंगा मैं उसका संहार।
मुझको पता है तू कुछ ना बोलेगी,
अपने दर्द को तो यूं ही सह लेगी।
क्योंकि मां तू है सबसे बोली ,
समझ ना पाई संसार को,
तेरी आंखें देखना पाई,
कुकर्मी के अत्याचार को ।।