यही अंत नहीं है.
ये रात क्या होती है हमसे पूछे कोई...
मोहोब्बत करते हो मानु अगर गीले तकिये पर सोये कोई...
नींद आती नहीं है और सवेरा हो जाता है...
सुबह होती नहीं के फिर अंधेरा हो जाता है...
दिन काटना तो आसान है कई हद तक...
रातो मैं बस उसकी यादो का बसेरा हो जाता है...
दीवारे चीखती है आधेरा खाने को दौड़ता है...
मोहोब्बत मैं हर कोई...
मोहोब्बत करते हो मानु अगर गीले तकिये पर सोये कोई...
नींद आती नहीं है और सवेरा हो जाता है...
सुबह होती नहीं के फिर अंधेरा हो जाता है...
दिन काटना तो आसान है कई हद तक...
रातो मैं बस उसकी यादो का बसेरा हो जाता है...
दीवारे चीखती है आधेरा खाने को दौड़ता है...
मोहोब्बत मैं हर कोई...