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दरिंदगी,,,,
मना रहा था जश्न सारा जहां जब,,,,,
एक बेटी परिवार चलाने के काम कर रही थी तब
आधी रात लौट रही रही आंखों में सपने लिए
बिन बाप की बेटी बीमार मां और भाई बहन के लिए
मनचलों ने मारकर उसे कार से तब तक घसीटा
जिस्म से जान निकलन न गई जब तक
क्या दिल्ली बलात्कार और बेटियो के लिए
कभी सुरक्षित न कहलाने वाली रह जायेंगी
क्या बेटियां हमेशा दमनकारी नीतियों का
हमेशा शिकार होकर रह जायेंगी
क्या बस कैंडिल मार्च निकालकर ही
कुछ दिन बाद दरिंदगी भुला दी जाएगी??
एक बेटी परिवार चलाने के काम कर रही थी तब
आधी रात लौट रही रही आंखों में सपने लिए
बिन बाप की बेटी बीमार मां और भाई बहन के लिए
मनचलों ने मारकर उसे कार से तब तक घसीटा
जिस्म से जान निकलन न गई जब तक
क्या दिल्ली बलात्कार और बेटियो के लिए
कभी सुरक्षित न कहलाने वाली रह जायेंगी
क्या बेटियां हमेशा दमनकारी नीतियों का
हमेशा शिकार होकर रह जायेंगी
क्या बस कैंडिल मार्च निकालकर ही
कुछ दिन बाद दरिंदगी भुला दी जाएगी??
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