...

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हा देखतेही...
हा देखतेही तुझे..
पेहली नजर मे फिदा थे तुमपे
चाहो तो दिवाना हमे 'किताब दिजीए..

कहा रख के भुले सुखा गुलाब वो..
वापस कोई 'किताब मे...

न दिखा सको वो 'किताब तो कोई गम नही..
ला के मुझे वो सुखा गुलाब दिजीए..

बिखर रहे हे सुनहरे ख्वाब मेरे
लौटकर मुझे वो ख्वाब दिजीए..

सेहला दो आके कभी पेशानी मेरी
मुल रकम पे कुछ तो ब्याज दीजिये..

तेरे दिवाने थे, तेरे दिवाने हे..
और हमेशा रहेंगे.. कुछ तो हमे याद किजीये...

वक्त और जजबात जो जाया हो गया,
कुछ तो हमे उसका हिसाब दीजिये....

आप भी शायद हमसे मोहब्बत करते हो,
उसका कुछ तो हमे एहसास दीजिये...
..✍️ Raj Thepane