...

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हा देखतेही...
हा देखतेही तुझे..
पेहली नजर मे फिदा थे तुमपे
चाहो तो दिवाना हमे 'किताब दिजीए..

कहा रख के भुले सुखा गुलाब वो..
वापस कोई 'किताब मे...

न दिखा सको वो 'किताब तो कोई गम नही..
ला के मुझे वो सुखा गुलाब दिजीए..

बिखर रहे हे सुनहरे...