...

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तुम्हारे यादों के संग
चल पड़े क़दम है
जाने किधर है
अकेले तन्हा हैं
न कोई साथी न हमराही है
बस लिए तुम्हारे यादों का पिटारा है
देती गम करती आंखें नम है

सोचूं जो तुमकों
वो सोच नहीं तुम
रूह में बसे हो
सांसों सा जो मुझमें घुले हो
कोई लफ्ज़ या अल्फाज़ जुबां पे नहीं
जो बयां कर सकूं हाल ए दिल चाहत तुमसे
बता सकूं मोहब्बत सुकून...