...

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अलविदा............... ज़िंदगी................
#अलविदा
निहारा बहुत दूर से मगर तुझे जी ना सके,
जुदा तो हुए मगर..अलविदा कह ना सके,

अब आँखें पत्थरा गयी तुझे निहार निहार,
मगर...तेरे मंज़र से नज़रें हम हटा ना सके,

ग़मों से इस कदर नाता है मेरा, ऐ ज़िन्दगी,
चाह के भी ख़ुशियों से नाता जोड़ ना सके,

माना कि.....इक ख़ूबसूरत छलावा हो तुम,
मगर..मौत की हक़ीक़त तुम झूठा ना सके,

तुझे जीया नहीं मगर इश्क़ तुझसे ही किया,
तुझे अलविदा कहते दर्द हम छूपा ना सके!