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जिंदगी!
जिन्दगी जी न सके
कभी भी हम कतई अपने मन से
बचपन में घर में माँ बाप
स्कूल में मास्टर साहब
जवानी में गर्लफ्रेंड्स
जब बन गये हसबैंड
रहना पडता जोरू का गुलाम बनके
बच्चा है आदमी का बाप
अब जब दिखने लगा साफ
चले फिर डाक्टरों के हम मन से @सुभाष
कभी भी हम कतई अपने मन से
बचपन में घर में माँ बाप
स्कूल में मास्टर साहब
जवानी में गर्लफ्रेंड्स
जब बन गये हसबैंड
रहना पडता जोरू का गुलाम बनके
बच्चा है आदमी का बाप
अब जब दिखने लगा साफ
चले फिर डाक्टरों के हम मन से @सुभाष
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