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परम+मां+त*मां= मां!
मां
परम जो उपकारी है
मां जो मृत्यु से मोक्ष दिलाती है
सुना है वह आत्मा फ़किरा
परमात्मा मां!
वह कहलाती है!
बनी वह मेरी रूहानी
जिस्मानी कद को ऊंचा करके!
के पिता जब भी डांटता था
तो याद आती थी आंचल वहीं
खुशबू ऐ वहीं धरकन परछाई
कुछ अपनी सी जानी-पहचानी !
के उदास रहने को अब फ़रिश्ते
दिल नहीं हर वक्त रहना चाहता
सुना है कोई भी ज़हर जुदाई का
मिटा नहीं होता फ़किरा!
कल देखा था जो खुद को मैंने
अपनी मां के आईने में फ़किरा
के वह दर्पण मुझे अब भी
_________बुढ़ा नहीं बताता!
बुरा जो किसी औरों को लगता है
जाहिर सी बात है फ़किरा वह
अपना नहीं होता !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
के अंधेरी नजरी के रातरानी का मुंह
रुह कोई देख फ़किरा तब से -
सुना है काला पड़ा गया !
जब से फ़किरा को उसकी मां ने
जिस घड़ी से फ़किरा को
अपने गोद में लिया था
सुन फ़रिश्ते वह फ़किरा भी उस घड़ी
पता नहीं कैसे खुद ब खुद
________________रौशन हो गया!
के कुछ इस तरह वह मेरी
गुनाहों को धो देती है फ़रिश्ते
वह मां है हंस के क्या फ़किरा
वह रो कर ही तुम्हें
________________सुधार देती हैं!
वह मां है
जो परमात्मा के बिच और अंत के
हर घड़ी वह शब्द रहतीं हैं!
चाहे जितनी भी ऊंचाईयों को
छूं ले आसमान फ़रिश्ता
जन्नत तो मगर फिर भी
मां के कदमों के
______________नीचे ही रहती है!
के इस मिलावटी भरी रंगमंच पर
रिश्तेदार कोई अपरिचित दिखावटी
दावत ऐ दांव पर कोई डायन माया
कलेजा निकालने को जो शर्थ
वह एक औरत खुद रजामंदी मांगती है!
ऐसे केकहीं के नजरिए हरदम
कान्हा नहीं कानी होती है!
जो खुद मां कभी शायद
__________बन नहीं सकती हैं!
औरत की दुश्मन क्यों हर बार फ#@kira
यहां कोई हमेशा क्यों कोई
__________ औरत ही बनती हैं?
के बुलंदियों के बहुत सारे
मुकाम भी पाया मेंने फ़रिश्ता
मुझपे मेरी मां का हाथ है
जो सारे मुश्किलों से हमेशा
_______मेरी हिफाजत करती है!
दुश्मन जल उठते हैं यह सुन देखकर
जब मांफ कर देता हूं मैं भी उन्हें!
एक बार जहां मां कहती हैं
यह शिक्षा संस्कार सब फ़रिश्ते
पिता परम आत्मा कोई पाक
रिश्ते में मेरी
_____________मां लगती है!
लेकिन मां के जब तक
गोद में उठा के फ़रश्ते जब तक
तुम के खुशी से उछाले न फ़किरा
कहां कोई ईनाम ऐ पुरस्कार परमात्मा
आनंद उस आसमान को भी छूं पाता
सुना है वहां कोई नंदी भी जो
कोई नन्द लाल बन जाता है!
बिन की आवाज थोड़े ही f#@kira
कभी बांसुरी की निकलती है!
वहीं लाल लीलाधर बेईमान
किसी भैंस के आगे जैसे इंसान
नापाक जो शायद इसलिए ही
रहता था परेशान फ़किरा
नाद-अंहद के अलौकिक सफ़र में
एक फ़किरा सब देख सुन रहा था!
बंटवारे की घड़ी क्यों फ़किरा?
उस समय सब भुल जाता है!
के किसी को इस खैरात में
घर मिला तो किसी को
दुकान नशीब में मिली
के फ़किरा सबसे छोटा था
अपने ही घर में सुन फ़रिश्ते
उसके हिस्से में ही
_____________उसकी मां आई!
के रिश्तों के रिश्र्वत खोरों से
दहेज में मिली वह बेटी कोई
बहुं के रुप में जो आतीं हैं
लेकिन अपनी खुद की भाभियों पर
कोई जेठानी जैसी
___________ हुकुमत चलाती हैं!
सुना है ऐसी औरतें फ#@kira
कभी मां नहीं बन सकती है!
के सुना तो यह भी है फ़रिश्ते
ऐसे ऊंची इमारतो से हर वक्त
कोई खड़ी जो अपने सुक्ष्म
अहंकार के बलबूते पर!
उसे खुद पता है फ़किरा
भुकंप के हल्के झटके से भी
इतनी ज्यादा क्यों सदा
______________ डर लगतीं हैं!
इतनी जुर्रत नहीं के कर्ज उस मां का मैं
फ़किरा चुका पाऊं
जो निवाला खाली पेट नहीं हाथ
भरी हुई मुंह के ओर जाते थे!
वह मां है पगले सुन
जो परमात्मा से भी फ़किरा
दरवाजा दरासल कोई दर से
_________भी ऊंची होती है!
के अब मेरी खोवाईस है के मैं
फ़किरा से फ़रिश्ता बन जाऊं
मगर एक श्राप जो मैने कहीं न कहीं
ख़ुद को भी जो
_____________दें के रखीं हैं!
सुना है दुनिया में
सबसे बड़ा पाप होता है
वह है खुद को
__________धोखा देना फ़किरा!

उस दर्पण के आगे अब कहां
__________कोई डर हीं लगती हैं !
परम पिता परम आत्मा है जो के
सबको नज़र वह
____________कहां आती हैं?
नजरियों के नजरबंदी में
चश्मा कोई भी रंग का नशा
भले ही क्यों न पहन रखी हो
अंधेरा तब तक गोरा नहीं दिखती है
जब तक के फ़रिश्ते उसमें कोई
प्रेम और पवित्रता का कोई दिपक
जगमगाते हुए जैसे ज़िन्दा शव
शिव नहीं बन जाता फ़किरा !
चैन से कभी भी जो नहीं बैठती है
कर दी गई हो या अब खामोश रहती है?
पता नहीं वह किसकी मां है जो रोते-रोते
__________मेरी मां से कहती हैं !
सुना है जब भी कोई दर्द से जब रोता है
फ़किरा उसके जुबां ऐ दिल से वही
_________मां शब्द ही निकलती है!
परमात्मा के संग जो अब रहती है
याद उसी को उसी की यह मिट्टी
बहुत उसी का साया
_____________उसकी करती हैं!
जब जब मैं उसकी पोतियों के लिए
ख़ुद खिलोना बन जाता हुं!
कसम से उस समय याद
__________बहुत तेरी ही आतीं हैं!
मां मुझमें हैं ऐसा सब कहते हैं
तेरी ही छवि सुरत पे मेरी मां
_____________तेरी झलकती है!
लाड़ला नहीं पर फिर भी क्यों?
सबके नज़रों को तो
_______________यही लगती है!
मैं फक्र से कहुं के मैं अपने
मां का बच्चा हुं उससे पहले फ़किरा!
वह सिने से अपने
_______________लगा लेती हैं!
वह मां है पगले सुन वैसे भी
बीन बोले भी वह सब
__________समझ जाती हैं!
सुना है उसकी दिल की धड़कनो को मैंने
नौ महीने जो लगातार
___________आवाज सुनती है!
अब पांच वक्त जैसे जुम्मा
____________हर वक्त होती है!
मैं भी मीट जाऊं के फ़किरा उसका
फिर से खिलोना बन जाऊं!
अब बड़ा होना अच्छा नहीं लगता
वह बचपन बहुत याद आती है हमें
जब दुसरो दोस्तों के मां, में - भी !
__________मां नज़र आती हैं!
के मुझे तो हर हाल में बक्सेगा उजाला
अपने परवेदिगार से हर रोज़ जो हथेली
मेरे लिए ही
____________जो दुवा निकलती है!
चांद रिश्तेदार में लगता है मां मां अपना
रक्षाबंधन के दिन वह शायद
______________मुस्कुराते रहतीं हैं!
रूप कैसे मिलता जुलता है पटिदारो का
सच में सब फ़किरा
______________ रूहानी लगती है!
मैंने पोंछे है अपनी भूखी मां के
उन आंसुओं को भी फ़रिश्ते
जो बहाने से कोई सिर्फ
________________ व्रत करती है!
परमपिता परमात्मा मेरी मां है मेरे लिए
________रिश्ते में मेरी मां लगती है!
पाक है चांदनी जिस जिश्म की साया
मां वह परम मां नंद परमात्मा
_________________मां लगती है!
के आज अचानक ही वह सारे वो
चाहतों की किताबों को फ़ाड़ के
जला दिया मैंने फ़रिश्ते
जो नरक की ओर ले जाते हैं
सीवाऐ
उस कागज़ पर लिखी
परम
मां

मां
शब्द को फ़किरा
__________________रहने दिया!
सुना है देखा भी है फ़रिश्ते जब से
उसके नाम का दियां फ़किरा
_____________बहुत रौशन करती हैं!

To be conti


© F#@KiRa BaBA

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