किस बात पर तुम्हारी मैं यकीन करूँ
किस बात पर तुम्हारी मैं यकीन करूँ
किस बात पर तुम्हारी मैं बिगड़ जाऊँ
मेरे यकीन की पराकाष्ठा हो तुम
अपने यकीन से कैसे मैं बिछड़ जाऊँ
पूछता हूँ खुद ही से ऐसे सवाल मैं
पूछने को ये सवाल मैं किधर जाऊँ
अपने प्यार में पहले बिगाड़ दिया मुझे
फिर उम्मीद क्यूँ कि अब मैं सुधर...
किस बात पर तुम्हारी मैं बिगड़ जाऊँ
मेरे यकीन की पराकाष्ठा हो तुम
अपने यकीन से कैसे मैं बिछड़ जाऊँ
पूछता हूँ खुद ही से ऐसे सवाल मैं
पूछने को ये सवाल मैं किधर जाऊँ
अपने प्यार में पहले बिगाड़ दिया मुझे
फिर उम्मीद क्यूँ कि अब मैं सुधर...