वक्त और जीवन
#रोज रात ढलती है रोज दिन निकलता है,
जीवन भी तो अनवरत इसी तर्ज पर चलता है.
बिछड़ते हैं हमराह कभी राहें जुदा हो जाती हैं,
शेष रह जातीं हैं यादें उनकी जो अजीज होता है.
बेवफा होता नहीं कोई सबकी अपनी मजबूरी है,
वक्त कब एकसा होता है मौसम भी तो बदलता है.
हालात चाहे जैसे हों जीवन पथ पर चलना नियति है,
ठोकरें हजार मिले राहों में फिर भी इंसान संभलता है.
उपदेश नहीं देती "भानु"जो बीती खुद पर कहती है,
जो निकला है जिन राहों से वही राह का मर्म समझता है.
जीवन भी तो अनवरत इसी तर्ज पर चलता है.
बिछड़ते हैं हमराह कभी राहें जुदा हो जाती हैं,
शेष रह जातीं हैं यादें उनकी जो अजीज होता है.
बेवफा होता नहीं कोई सबकी अपनी मजबूरी है,
वक्त कब एकसा होता है मौसम भी तो बदलता है.
हालात चाहे जैसे हों जीवन पथ पर चलना नियति है,
ठोकरें हजार मिले राहों में फिर भी इंसान संभलता है.
उपदेश नहीं देती "भानु"जो बीती खुद पर कहती है,
जो निकला है जिन राहों से वही राह का मर्म समझता है.
Related Stories