मुलाकात
तन्हाई में फरयाद तो कर सकता हूँ,
वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ,
जब चाहूँ तुमसे मिल तो नहीं सकता लेकिन,
जब चाहूँ तुम्हें याद तो कर सकता हूँ,
फासले कितने ही क्यों न हों हमारे दरमियाँ,
ख्वाबों में खोकर मुलाकात तो कर सकता हूँ I
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वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ,
जब चाहूँ तुमसे मिल तो नहीं सकता लेकिन,
जब चाहूँ तुम्हें याद तो कर सकता हूँ,
फासले कितने ही क्यों न हों हमारे दरमियाँ,
ख्वाबों में खोकर मुलाकात तो कर सकता हूँ I
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