कुछ लफ्ज
उन्होंने पूछा चोट गहरी लगती है :-
मत पूछो ये निशां ,
कैसे करूंगी ब्यां,
रुक जाती है जुबां ,
उनके सामने ।
बहुत दर्द हैं दिये ,
हम घुट घुट कर भी जिएं ,
हमने आसूं भी पिएं ,
यारा हर शाम में ।
कैसे कह दें बेगाना ,
जिनको अपना है माना ,
रोक देता है जमाना ,
हमें अन्जाम से ।
वो नहीं हैं हमारे ,
जिनके जीना था सहारे ,
हम खड़े हैं किनारे ,
हो के बे -आराम से ।
बहुत लिखा तेरे बारे ,
गवाह हैं ये तारे ,
हम हैं हीं किस्तम मारे ,
यारा अब माफ कर दे ।
यारा अब माफ कर दे ।
R. Kaur Ramgarhia
मत पूछो ये निशां ,
कैसे करूंगी ब्यां,
रुक जाती है जुबां ,
उनके सामने ।
बहुत दर्द हैं दिये ,
हम घुट घुट कर भी जिएं ,
हमने आसूं भी पिएं ,
यारा हर शाम में ।
कैसे कह दें बेगाना ,
जिनको अपना है माना ,
रोक देता है जमाना ,
हमें अन्जाम से ।
वो नहीं हैं हमारे ,
जिनके जीना था सहारे ,
हम खड़े हैं किनारे ,
हो के बे -आराम से ।
बहुत लिखा तेरे बारे ,
गवाह हैं ये तारे ,
हम हैं हीं किस्तम मारे ,
यारा अब माफ कर दे ।
यारा अब माफ कर दे ।
R. Kaur Ramgarhia