...

8 views

पिघलते रिश्ते
पिघलते रिश्ते

कुछ साल का रिश्ता बना
ज़माने की भारी चोट लगी
सोती थी जिसकी बाहों में रूह मेरी
पिघलते रिश्ते को नज़र लगी

रूठना मनाना बहुत हुआ
आखिर तक की बाजी लगी
मिलों दूर से मैं क्या ठहरी
पिघलते रिश्ते की बोली लगी

बेज़ार रिश्तों की दुहाई देके
बेजूबान मोहब्बत की नुमाइश लगी
रुठो को भी मनाना हुआ मुस्किल
पिघलते रिश्ते को क्या चोट लगी

अब उठने बढ़ने से हुए मेहरूम
दिल की चीख दिमाग को लगी
माना वो नहीं था बुरा बस
पिघलते रिश्ते की बली लगी

© firkiwali