मयखाना!!
शांत नहीं है कोई सब आतुर हैं शोर मचाने को
छल छल करते आँसू बहते हैं मुझे बहाने को
नभगंगा में बैठे तारे घूर के मुझको देख रहे
मैं भी उनको घूर रहा हूँ अपने चाँद को पाने को
बेरोजगारी, बदनामी मैं बीत गया जीवन...
छल छल करते आँसू बहते हैं मुझे बहाने को
नभगंगा में बैठे तारे घूर के मुझको देख रहे
मैं भी उनको घूर रहा हूँ अपने चाँद को पाने को
बेरोजगारी, बदनामी मैं बीत गया जीवन...