...

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हाँ, मुझे प्यार है...
हाँ, मुझे तुम पसन्द हो
पसन्द हो पूर्णिमा की रात में निकले चांद की तरह
पसन्द हो उस ख़ूबसूरत चांद की ठंडक चांदनी की तरह
पसन्द हो किसी अमावस की रात के घने अंधेरे की तरह
पसन्द हो रूह को सुकून देनेवाले किसी बेहद ख़ूबसूरत सवेरे की तरह
पसन्द हो तुम मुझे किसी रस्म की तरह
एहसास हो तुम मेरी बंधन के उन सात फेरे की तरह
हाँ, ये बात और है कि मैं तुम्हारे पास बैठकर बातें नहीं करता
यार मुझे लगता है, कि तुम बेशक समझोगी मुझे
इसलिए कह रहा हूं, कि यार दिल तो बहुत करता है तुम्हारे सामने घण्टों बैठकर तुम्हारी इन आखों में डूबने का,
दिल में जो कुछ भी दबा पड़ा है, वो सब कुछ कह देने का
पर, तुमको देखते ही पता नहीं क्यूँ मैं टूट जाता हूँ
लगता है जैसे मेरे इस दिल-ओ-दिमाग के बिल्कुल ठीक बीच में से कोई जहाज तूफ़ान की रफ़्तार से आकर सबकुछ खाली कर के चला गया है, और मैं
मैं बस बेचैन होने से ज़्यादा और कुछ भी नहीं सकता
बात करे मुहब्बत की, तो मुझे ये तो...