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तेरे शहर में...
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे,
निगह-ए-नाज़ से छलक रहे पैमाने हैं।
अब शिकवा करें तो करें किससे,
हमराह कोई हमराज़ ही नहीं।
जो पहुंचे ख़ुदा के कानों तक,
दुआ की वो आवाज़ ही नहीं।
क्या करेंगे तेरे शहर में,हर मोड़ पर हैं धोखे जिसमें,
हर दीवार में बेवफाई ओ मायूसी के हैं झरोखे जिसमें।
© ✍️nemat🤲
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे,
निगह-ए-नाज़ से छलक रहे पैमाने हैं।
अब शिकवा करें तो करें किससे,
हमराह कोई हमराज़ ही नहीं।
जो पहुंचे ख़ुदा के कानों तक,
दुआ की वो आवाज़ ही नहीं।
क्या करेंगे तेरे शहर में,हर मोड़ पर हैं धोखे जिसमें,
हर दीवार में बेवफाई ओ मायूसी के हैं झरोखे जिसमें।
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