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जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
नई राहों पे कदम बढ़ाते,
कभी न रुकने का वादा निभाते।

धुआं छोड़ते, आग उड़ाते,
रास्तों को सीने से लगाते,
बढ़ रहे हैं अपनी मंज़िल को,
हर मुश्किल को कदमों में झुकाते।

ना कोई बेड़ी, ना कोई रोक,
हम हैं वो जो खुद अपना लोक,
राहें चाहे कंटीली हों,
हमें नहीं कोई शिकवा या शोक।

इंजन की तरह चलते जाएंगे,
हर तूफान से टकराएंगे,
रास्ते खुद ब खुद बनते जाएंगे,
और हम अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।

हौसले हैं फौलादी,
इरादे चट्टानी,
किस्मत की लकीरें खुद लिखेंगे,
हम हैं इंजन, जो कभी न थमेंगे।

जंजीरों को छोड़ दिया पीछे,
हवाओं का रुख भी हमने मोड़ दिया,
अब तो बस चलना है आगे,
हर मंजिल को हमने तोड़ दिया।


_Kajal