5 views
मन करता है.....
नब्ज़ डूब रही है तेरी यादों से टकराकर,
गम की लहरों से मुझे किनारा चाहिए;
सांस छूट रही है अब इस तन से,
मुझे तेरी सांसो का सहारा चाहिए।
पता नही अब किस मोड़ से जाऊं किस तरफ,
पता नही अब चलते चलते मुड़ जाऊं किस तरफ;
अब तो बस यादें है इस उर उपवन में,
पता नही अब उड़ते उड़ते खो जाऊं किस तरफ।
पीड़ा का अंत नही कोई,हर पल बढ़ती जाती है;
लेकिन मेरे मन मंदिर में एक छवि,जो मुझे बुलाती है;
धारण कर मौन हो सावधान मैं सुन रहा उसे,
अंधकार खत्म कर अंतर्मन का ,वो मुझमे आस जगाती है।
अब चलते चलते राहों में खो जाने का मन करता है;
खोल पंख उन्मुक्त गगन में उड़ जाने का मन करता है;
माना जीवन है अगम विस्तारित अतल भंवर,
अब साध श्वास लहरों से लड़ जाने का मन करता है।
© pagal_pathik
Related Stories
11 Likes
0
Comments
11 Likes
0
Comments