मन करता है.....
नब्ज़ डूब रही है तेरी यादों से टकराकर,
गम की लहरों से मुझे किनारा चाहिए;
सांस छूट रही है अब इस तन से,
मुझे तेरी सांसो का सहारा चाहिए।
पता नही अब किस मोड़ से जाऊं किस तरफ,
पता नही अब चलते चलते मुड़ जाऊं किस तरफ;
अब तो बस यादें है इस उर उपवन में,
पता नही अब...