...

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गजल -२
अपने जज्बातो को दबाए रखना...
गजल बना उसे महफिलो में न कहना...

ये जमाना है बेशरम बखुदा ....
इसके दिए इल्जाम न सहना....

तलबगारों की जो आँधी चले...
तो खुद को बचाना रेत सा उड न जाना..

बिछा हुआ है जाल सादगी का ..
बचना कहीं फंस न जाना ....

आशियां समंदर पर बना कर....
गीली मिट्टी सा ढह न जाना....

मुफलिसी है किसी अपने की....
देख खजाना तू बह न जाना....!!


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