...

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अगर हम साथ हो पाते
अगर हम साथ हो पाते
तो शायद कुछ अलग होते
कुछ तुम मेहरबां होते
कुछ हम भी हसीन होते
रोज़ ही सुनाते नगमा प्यार का
यूँ कागज़ कलम से दिल न लगाते
रह रह कर काग़ज़ को आँसुओं से गीलाकर
कलम की स्याही को यूँही न सुखाते
काश तुम मेरे होते
तेरे मेरे सपने फिर अपने होते
© बावरामन " शाख"