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ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जिन्होंने पाला पोसा उनसे ही उन
बच्चों के आगे भीख मंगवाती है

ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जो बच्चे को घर लाकर फूले नहीं समाते
उन्हें घर से वृद्ध आश्रम में फिंकवातीं है

ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जो सारी उम्र बच्चों का पेट भरे
दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें ही तरसाती है

ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जो बच्चे का एक दर्द नहीं सह पाते
उससे ही उन्हें कितने दर्द दिलवाती है

ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जो बच्चे पर एक हाथ ना उठा सके
उन बच्चों से उन्हें पिटवाती है

ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है
जो बच्चे के नखरे पूरे करते है
उनकी जरूरतें भी पूरी ना करवाती है

ज़िन्दगी कितने...