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एक सपना अधूरा सा
एक सपना अधूरा सा

कुछ अधूरे से सपने,
कसकते रहते हैं
दिल के किसी कोने में।
तनहाई में मेरी,
बात करते हैं मुझसे,
पूछते हैं, अपने पूरे न होने की वजह।
समझाती हूं उनको
जिम्मेदारियां हैं अभी
उनके पूरा होने तक,
इंतजार करना होगा।
फिर एक दिन पूछने लगे वो,
इंतजार की हद क्या है,
मैं निरुत्तर सी बोलती हूं
थोड़ी देर और,पर अब,
जानने लगी हूं कि,
वो हद जीवन का
पूर्ण विराम ही है.........
                        नीरा 03.06.2020