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बुझा बुझा सा आदमी
रोशन है शहर आदमी बुझा बुझा सा है
जो भी बना है यार वही बेवफा सा है
इकसार ये रफ़्तार रोज की,मशीनी सी
साँसें तो हैं पर शख़्स हर इक मरा सा है
ज़िंदगी की तलाश में यहाँ भूले से आ गया
वो आदमी जो अब कहीं गुमशुदा सा है
देखो तो इस भीड़ में कितनी कहानियाँ
दर्द एक सा है,हर एक किस्सा सुना सा है.
#वरुणपाश #yourquote #yqwriter #yqbaba #yqdidi
© बदनाम कलमकार
जो भी बना है यार वही बेवफा सा है
इकसार ये रफ़्तार रोज की,मशीनी सी
साँसें तो हैं पर शख़्स हर इक मरा सा है
ज़िंदगी की तलाश में यहाँ भूले से आ गया
वो आदमी जो अब कहीं गुमशुदा सा है
देखो तो इस भीड़ में कितनी कहानियाँ
दर्द एक सा है,हर एक किस्सा सुना सा है.
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