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बहुत कुछ कहना था...
बहुत कुछ कहना था तुमसे
मगर कभी हम नहीं मिलते तो कभी अल्फाज नहीं मिलते...
मिल जाए अगर जरा भी हिम्मत...
तो कभी तेरे जवाब नहीं मिलते...
कभी हमारे ख्याल नहीं मिलते ...
दिल सोचता है ऐसा भला क्या है तुझमें
तेरी हर एक अदा पर जान देते हैं।
खफा होते हैं तुझसे मगर, तेरी मुस्कान पर फिर दिल हार बैथटे हैं।
तेरी बेरुखी से दिल दुखता है मेरा मगर तेरी आँखों की कशिश सुकून दे जाती है..
गुस्से में भी लेहजा ना भूलना..
यही अदा तो तुझे औरो से मुनफ़रीद बनाजाति है। ❤️
© uzmaa
मगर कभी हम नहीं मिलते तो कभी अल्फाज नहीं मिलते...
मिल जाए अगर जरा भी हिम्मत...
तो कभी तेरे जवाब नहीं मिलते...
कभी हमारे ख्याल नहीं मिलते ...
दिल सोचता है ऐसा भला क्या है तुझमें
तेरी हर एक अदा पर जान देते हैं।
खफा होते हैं तुझसे मगर, तेरी मुस्कान पर फिर दिल हार बैथटे हैं।
तेरी बेरुखी से दिल दुखता है मेरा मगर तेरी आँखों की कशिश सुकून दे जाती है..
गुस्से में भी लेहजा ना भूलना..
यही अदा तो तुझे औरो से मुनफ़रीद बनाजाति है। ❤️
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