⛅ किरण ⛅
जैसे अनजाने में
ही 'छन्न' से
नवयौवना की पाजेब
खनक उठती है
यूं ही 'आहिस्ता' से मेरे
आंगन में, भोर में एक
' किरण 'उतरती है
कुछ शरमाई सी,
सिमटी सी, सकुचाई सी...
झुकी हुई निगाहों से
कभी इधर कभी
उधर तकती है
बढ़ती है -ठिठकती है
किस ओर चलुं
शायद यही विचरती है
गालों पर रक्तिम
आभा उतरती है
मुड -मुडकर
'दिनकर' की ओर
तकती है
वो मंद मंद
मुस्कुराते हैं
आंखों ही आंखों...
ही 'छन्न' से
नवयौवना की पाजेब
खनक उठती है
यूं ही 'आहिस्ता' से मेरे
आंगन में, भोर में एक
' किरण 'उतरती है
कुछ शरमाई सी,
सिमटी सी, सकुचाई सी...
झुकी हुई निगाहों से
कभी इधर कभी
उधर तकती है
बढ़ती है -ठिठकती है
किस ओर चलुं
शायद यही विचरती है
गालों पर रक्तिम
आभा उतरती है
मुड -मुडकर
'दिनकर' की ओर
तकती है
वो मंद मंद
मुस्कुराते हैं
आंखों ही आंखों...