...

62 views

⛅ किरण ⛅
जैसे अनजाने में
ही 'छन्न' से
नवयौवना की पाजेब
खनक उठती है
यूं ही 'आहिस्ता' से मेरे
आंगन में, भोर में एक
' किरण 'उतरती है

कुछ शरमाई सी,
सिमटी सी, सकुचाई सी...
झुकी हुई निगाहों से
कभी इधर कभी
उधर तकती है
बढ़ती है -ठिठकती है
किस ओर चलुं
शायद यही विचरती है

गालों पर रक्तिम
आभा उतरती है
मुड -मुडकर
'दिनकर' की ओर
तकती है
वो मंद मंद
मुस्कुराते हैं
आंखों ही आंखों...