...

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सफलता का रास्ता
मुश्किल था अंधेरे मे पहाड पर चढना,
अकेले अकेले चोटी तक पहुचना.

कोई था नही बगल में
ना साथ थी अपनी साया,
चाँद दिखता था मगर
ना साथ उसका भी पाया.

सूनसान और दरावने अंधेरे मे
मुश्किल से चोटी दिखी,
भागते भागते पहुची और
पहाड की ऊंचाई देखी.

बहुत कष्ट उठाने के बाद
उंचे कद तक पहुंची थी
साथ अकेलापन था
लेकीन जितने की खुशी थी

तभी उषा झलक उठी
साथ अपने साये का पाया
झलक उठी सुंदर प्रकृती
अँखोंसे पानी आया.

© mj3112