...

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असफलता
हांथ_ पैर सलामत है पर लाचार हूं
पढ़_ लिख कर भी बेजार हूं
जरा_ सी बात हुई, मैं तो बैठ गई
अरमानों के कब्र आंसुओं तले दफनाती गई
मुश्किल कुछ भी नहीं था पर मैंने मान लिया
कोशिश करने से पहले ही मैं हार गई
जरूरत मेरी मैं खुद नहीं समझ पाई
औरों से हर बार उम्मीद लगाई
मैं खुद मेरे हार की वजह हूं अब
अपने मन_ मस्तिष्क पे काबू न कर पाई
सब खेल अपने मन का है
ये विचलित है इसे व्यस्त कर दो
निकलो अब बैठे मत रहो
दौड़ने का वक्त है अब सोने का नाटक न करो
आंख बंद कर लेने से अंधेरा छटेगा नहीं
कोई भी तुम्हारी दौड़ में कैसे शामिल हो सकता है
हर किसी को अपनी दौड़ पूरी करनी है यहां
कोई भी बेवजह नहीं न कोई वंचित है
इस संसार के नियमों से
इंसान की पहचान होती है उसके कर्म से
तूने अब तक ऐसा क्या किया है
और अब क्या करने का सोचा है
कब तक यूं ही बैठे रहने का इरादा है
कब तक औरों की लड़ाई तुझे ही लड़नी है
और कितना भावनाओं के भंवर में फंस कर अपने कर्म पथ से दूर रहना है
चलो माना ये भी तुम्हारे फर्ज है
पर हर बार तुम ही...