...

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कुछ तो लोग कहेंगे!
हाये!
बेचैनी का आलम है
कुछ जवां जवां,
कुछ खट्टा तो कुछ मीठा
कुछ नमकीन तो कुछ कसैला
ज़रा मुँह बिचकाओ
कुछ तो लोग कहेंगे..

हाये!
उचटा उचटा मन,
ख़यालों की उधेड़बुन,
भावनाओं का मकड़जाल
चीख पड़ो या चुप हो जाओ
खामोशी में बात छिपाओ,
कुछ तो लोग कहेंगे..

हाये!
अजीब रिश्ते जीवन रथ के,
एक को पकड़ूँ दूजा सरक जाए
सही गलत में पिसते जाओ
दर्द में बिलख आँखों से ढुलक जाओ,
खुद की सोचो,समाज की गाली बन जाओ
कुछ तो लोग कहेंगे..

© ऋतु