...

11 views

दिल का रिश्ता
जिसे हम हद से ज्यादा समझे थे
आज उसने हमें बता दिया
रिश्ते नाम से नहीं दिमाग़ से चलते हैं
वो हमे जान नहीं पाये और वो हमे
जानने का दावा कर गई
कोशिश नाकाम रह गयी और
वो हमे बिना कसूर के
आरोपी बना गई। सच है हम
नहीं जानते रिश्ते नाम
के भी होते है।
जिसे जान नही पाए हम
कभी रिश्तों से रिश्तों को
निभाने का तरीका,हमे केवल
सच्चाई से आता था
और वो उन्हें ही झूठा मुखौटा
बोल चली गई
वही अब हमें सिखाते
रह गया हार्दिक रिश्तों को
निभाने का सलीका।
पर वो सलीका हमे आता नही
बस एक रिश्ता निभाना
जानते हैं हम तो
दिल का रिश्ता दिल से
और कोई रिश्ता निभाना आता नही।
-हार्दिक महाजन
© -हार्दिक महाजन