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ज़िंदगी by MoonsFeeling (chand Hussain)
एक हारा हुआ इंसान हूँ
चार कदम चल कर थक जाता हूँ
थक गया हूँ इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ ------------------〽️

यार कितनी दूर है मंजिल, और कितना चलना होगा
इतनी तो गलतियां भी नहीं करता मैं,
क्या अब पल-पल संभलना होगा,
लोगों से सुना है कि
दिन में पसीने ही पसीने में तर रहता हूँ
क्या मैं इतनी मेहनत करता हूँ,
जो मैं अपने आप से बेखबर रहता हूँ
थक गया हूँ इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ ------------------〽️

कुछ चंद रुपयों के लिए इंसान कितनी मेहनत करता है
तकलीफ सह कर दूसरे के काम को फायदा पहुंचा कर
खुद को रोज सहमत करता है
और गरीबों को उनकी मेहनत के लिए दो वक्त की रोटी
और चोर , फरेबी लालचिओ को बेशुमार दौलत देकर
वाह खुदा भी क्या खूब रहमत करता है
दिन में पसीना है और रात में...