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कोई राह ऐसी ईजाद हो
के कोई राह ऐसी ईजाद हो
चित्त शांत और चेतना आजाद हो
मस्तिष्क पर अहंकार का भार
सोच संकुचित, खिन्न विचार

के कोई दवा नहीं इसका इलाज है
एकचित्त कर जो सैकड़ों आवाज हैं
आत्मा की खोज ही अब उपाय है
असत्य की चाहत असहाय है

चंचलता किसी कोने में दब गई
बेजुबान को थोड़ी आवाज दो
के कोई राह ऐसी ईजाद हो
चित्त शांत और चेतना आजाद हो

भूत की सोच, भविष्य की चिन्ता
कही कभी वर्तमान का भी साज हो
प्रत्येक श्वास पर ध्यान रहे
जब मोह निंद्रा से निजाद हो

ध्यान महादेव का रहे
और नियंत्रण में अपनी बात हो
के कोई राह ऐसी ईजाद हो
चित्त शांत और चेतना आजाद हो

© अंकित राज "रासो"

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