...

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सिलसिला ये चाहत का
सिलसिला  ये  चाहत  का  तोडके  ना जाना तुम
यूं   ही   चाहते   रहना   छोडके   ना  जाना  तुम

याद  रखना  हर   राहें   मुझ   तलक  तेरी  आएं
चाहे जो भी हो लेकिन मुंह फेर के ना जाना तुम

मुझको  भरके  बाहों में जो भी वादे  करते  हो
वक्त  पे   ऐ   जांनेजां   याद    से  निभाना  तुम

रब  से  है   दुआ   मेरी   साथ   में   गुजारें  हम
जिंदगी हो जैसी  भी  पर  ना  लड़खड़ाना  तुम

तुम  जो  रूठो  हमसे  हम  प्यार   से   मनायेगे
मैं  भी  रूठ  जाऊं  तो  प्यार  से   मनाना  तुम

कोई  पूछे  गर  तुमसे  कैसा  है   तेरा  आशिक
तो  उसे  ग़जल  मेरी   शौक   से   सुनाना  तुम

By..Kamaal Husain ✍️