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नज़्म
एक ख्वाब अधूरा है
कोई कशिश मन में अभी जिंदा है
तेरा न होना भी मेरे लिए जैसे यूं है
मानो किसी फूल से निकलती खुशबू
मेरा राब्ता हर पल रहा तुमसे
तुमसे ही मैं मुकम्मल रहा
बाखबर रखा दुनिया को मैने
तुमने मुझे भी बाखबर रखा
किसी के ख्वाबों के तराने
तुम्हारे एहसास में जिंदा थे
हम जीते जी मर चुके थे
बस उनके लिए हम जिंदा थे
मैने अपना दर्द बांटा है
दरख्तो से, दरियाओं से,
घटाओं से, फिजाओं से,
पहाड़ों से, पत्थरों से,
ख्वाबों से, सांसों से,
चांद से, तारों से
मैने अपना दुख बांटा है
बेहतरीन नजारों से
तेरे आब में तेरे खालिस में
जलता रहा ये दिल मेरा
सोच नही रहा कभी तेरे बिन
क्या होगा अब तेरे बिन मेरा.......✍️
© Tanha_Mushafir
कोई कशिश मन में अभी जिंदा है
तेरा न होना भी मेरे लिए जैसे यूं है
मानो किसी फूल से निकलती खुशबू
मेरा राब्ता हर पल रहा तुमसे
तुमसे ही मैं मुकम्मल रहा
बाखबर रखा दुनिया को मैने
तुमने मुझे भी बाखबर रखा
किसी के ख्वाबों के तराने
तुम्हारे एहसास में जिंदा थे
हम जीते जी मर चुके थे
बस उनके लिए हम जिंदा थे
मैने अपना दर्द बांटा है
दरख्तो से, दरियाओं से,
घटाओं से, फिजाओं से,
पहाड़ों से, पत्थरों से,
ख्वाबों से, सांसों से,
चांद से, तारों से
मैने अपना दुख बांटा है
बेहतरीन नजारों से
तेरे आब में तेरे खालिस में
जलता रहा ये दिल मेरा
सोच नही रहा कभी तेरे बिन
क्या होगा अब तेरे बिन मेरा.......✍️
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