...

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पहली मुलाक़ात
एक बात बताऊँ, राज़ की बात है...
आज सवरने दो मुझे, आज मेरी पहली मुलाक़ात है...
होंगे आज रूबरू पहली बार, आज बड़े बेशबरी से मुझे मेरी नींद का इंतज़ार है...
वादा किया है मिलने का सपनो मैं, तो मिलना तो पक्का है...
अगर ना मिल सका आज तो समझ लूंगा की मेरा इश्क़ कच्चा है...
ना समझ है दिल बोहोत, हो भी क्यों ना ये अभी बच्चा है...
अच्छा वो भी क्या मुझसे मिलने सज सवार के आएंगे...
आ कर सपने मैं मेरे क्या अपने पैरो की पायल खनकाएंगे...
अच्छा सामने मैं उनका दीदार कैसा होगा...
मेरी मानो तो सायद चाँद जैसा होगा...
या चाँद भी शर्मा जाये उन्हें आते देख कर...
कुछ बात करेंगे हम दोनों साथ बैठ कर...
और साथ बैठ कर मैं सितारों को भी चिढ़ाऊंगा...
तेरे चाँद से भी खूबसूरत है मेरे पास कुछ ये कह कर...
अगर वो कहे तो मैं उनके कंधे पे सर रख सो जाऊँगा..
बिना पलके झपकाये उन्हें पेहेर तक बस देखता जाऊँगा...
सायद वो टोके मुझे, या मुझे होश मैं लाये...
पर मैं उनकी झील जैसी आँखों मैं डूबता जाऊंगा....
उनके मखमली जुल्फों की छेड़ूँगा...
उनसे कुछ बाते करूँगा...
उनकी खुसबू को समेट लूंगा खुद मैं इस कदर...
मानो जैसे कोई सर्प लिपटा हो चन्दन के पेड पर...
साथ मैं कुछ हसीन लम्हे बिताएंगे...
क्या है मेरे अंदर का हाल ये इशारो ही इशारो मैं बताएँगे...
समझ जाये अगर वो तो फिर किस किस बात की देर होंगी...
मैं उनका हो जाऊँगा वो फिर मेरी होंगी...
और एक बात बताऊ, राज़ की बात है...
आज सवरने दो मुझे, आज मेरी पहली मुलाक़ात है...
© कुshal सिंgh