तुलसी की कथा
एक बार शिव क्रोध से, जन्मा एक सूत जालंधर था,
त्रिलोकपति, वो असुर राज, पर अहंकार भी अंदर था,
मौका उसे त्रिदेव ने बारंबार दिया,
पर घमंड में चूर वो युद्ध को ललकार दिया,
मगर जालंधर प्रेम मामलें में ज्यादा संपूर्ण था,
पतिव्रता पत्नी वृंदा , शुक्राचार्य ज्ञान निपूर्ण था,
मुख पर तेज़, ह्रदय में प्रेम, वैदिक गुणों से सशक्त वो,
कालनेमी पुत्री वृंदा थी, श्री नारायण की भक्त वो,
उसे ज्ञात था कि जन्म ले चुका है पति के अंदर असुर,
अमरत्व की पूजा पति को मृत्यु से रखेगा दूर,
पति...
त्रिलोकपति, वो असुर राज, पर अहंकार भी अंदर था,
मौका उसे त्रिदेव ने बारंबार दिया,
पर घमंड में चूर वो युद्ध को ललकार दिया,
मगर जालंधर प्रेम मामलें में ज्यादा संपूर्ण था,
पतिव्रता पत्नी वृंदा , शुक्राचार्य ज्ञान निपूर्ण था,
मुख पर तेज़, ह्रदय में प्रेम, वैदिक गुणों से सशक्त वो,
कालनेमी पुत्री वृंदा थी, श्री नारायण की भक्त वो,
उसे ज्ञात था कि जन्म ले चुका है पति के अंदर असुर,
अमरत्व की पूजा पति को मृत्यु से रखेगा दूर,
पति...