द्रौपदी वस्त्रहरण
द्रोपदी बोली मैं हूँ एक पतिव्रता नारी
मुझ पर वैश्या होने का आरोप लगा भारी।
भरी सभा में खींचे गए मेरे वस्त्र
बड़े बड़े योद्धा सब हो गए निशस्त्र।
क्यों सबकी नजरें ये अन्याय देखकर झुक गई
क्यों सबकी तलवारे म्यानों के भीतर रुक गई।
निर्ममता से खींचे गए मेरे केश
मेरे स्वाभिमान को पहुँची...
मुझ पर वैश्या होने का आरोप लगा भारी।
भरी सभा में खींचे गए मेरे वस्त्र
बड़े बड़े योद्धा सब हो गए निशस्त्र।
क्यों सबकी नजरें ये अन्याय देखकर झुक गई
क्यों सबकी तलवारे म्यानों के भीतर रुक गई।
निर्ममता से खींचे गए मेरे केश
मेरे स्वाभिमान को पहुँची...