...

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#🥺 पापा 🥺
जब दुख की होती बरसातें,
खोजती हूँ हाथ सिर पर ढांढस भरा।
जाग उठता तभी चेतन मन मेरा,
दिमाग कह उठता अनायास यह,
नहीं हो आप कहीं नहीं हो!
छलती हूँ खुदको खुद ही और संभल नहीं पाती हूँ.... घंटों ।
घर में खुशियों की हों जब, बौछारें,
अपने आस पास पाती हूँ,
एक अदृश्य आशीर्वाद भरा हाथ
पाती हूँ उस पल अपने साथ
दिल समझ जाता है
आप हो, यहीं कहीं हो।
एक बार फिर से डूब जाती हूँ ,
दिवा स्वप्न में, और फिर जगना नहीं चाहती हूँ ।
पापा तुम हो यहीं कहीं हो।🥺🥺
✍️© ranjeet prayas