...

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एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ
अपने ऐहसासों की इस कलम से
मैं इन अँखियों में,
एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ।

जो कभी किसी ने बोले ही नहीं,
मैं वो अलफाज़ लिखना चाहता हूँ।

में लिखना चाहता हूँ नकारात्मक्ता से आज़ादी
और नफरत के ख़िलाफ इंकलाब लिखना चाहता हूँ।

मैं एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ ।।

जो प्रकृति ने है छेड़ा में वो साज़ लिखना चाहता हूँ,
अपने दिल में उठ रहे इन गीतों की आवाज़
लिखना चाहता हूँ।
जो सफलता हासिल करने पर महसूस होता है,
मैं वो ऐहसास लिखना चाहता हूँ|
जो मेरे सुख-दुख का साथी हो
और मेरे दिल की भाषा जिसे समझ आती हो,
मैं ऐसा कोई खास लिखना चाहता हूँ।
मैं एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ ।।

मैं अपने मन में उठते हर सवालों का जवाब
लिखना चाहता हूँ,
नउम्मीदियों के अंधेरों में आफताब लिखना चाहता हूँ।
जहाँ खुशियाँ गोते लगाती हो,
ऐसा एक तालाब लिखना चाहता हूँ,
में अपने इस कलम से
कविताओं का सैलाब लिखना चाहता हूँ।
मैं एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता है ।।।
© VSAK47