एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ
अपने ऐहसासों की इस कलम से
मैं इन अँखियों में,
एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ।
जो कभी किसी ने बोले ही नहीं,
मैं वो अलफाज़ लिखना चाहता हूँ।
में लिखना चाहता हूँ नकारात्मक्ता से आज़ादी
और नफरत के ख़िलाफ इंकलाब लिखना चाहता हूँ।
मैं एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ ।।
जो प्रकृति ने है छेड़ा में वो साज़ लिखना चाहता हूँ,
अपने दिल में उठ...
मैं इन अँखियों में,
एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ।
जो कभी किसी ने बोले ही नहीं,
मैं वो अलफाज़ लिखना चाहता हूँ।
में लिखना चाहता हूँ नकारात्मक्ता से आज़ादी
और नफरत के ख़िलाफ इंकलाब लिखना चाहता हूँ।
मैं एक सुनहरा ख्वाब लिखना चाहता हूँ ।।
जो प्रकृति ने है छेड़ा में वो साज़ लिखना चाहता हूँ,
अपने दिल में उठ...